Nahi Ye Nahi Thi Tamanna Hamari (Hindi Poetry)

क्यूँ समझ न पाए वो मेरी उन बातों को 
कह रहे थे हम कुछ और , वो बदल बैठे हालातों को। 
दर्द इस दिल का अब कैसे समझाएं उन्हें ,
कितने आंसू , कितनी आहों में गुज़ारा है रातों को। 
सोच करती रही परेशां यही की क्या थी आखिर खता हमारी ,
की केहनी छोड़ दी उन्होंने अपने दिल की बातें सारी। 
नहीं। ... ये नहीं थी तमनन्ना हमारी। 



प्यार तो बहुत किया था पर शायद निभाने में चूक हो गयी , 
समझे तो बहुत थे उन्हें शायद समझाने में चूक हो  गयी। 
अपने दिल की कहते कहते शायद उनकी सुन्ना भूल गए 
और वो इस कदर रूठे हमसे की शिकवा करना भूल गए। 
नहीं।  ... ये नहीं थी तमन्ना हमारी। 




सोचा था उन्हें बताये क्या हमारी नाराज़गी का कारण  था 
उन्हें लगने लगा शायद ये रिश्ता ही नराज़गियों का बोझ है। 
कैसे समझते रिश्तों में कहना कितना ज़रूरी है,
पर रिश्तों को सँभालने के लिए शायद चुप रहना ही उनकी खोज है। 



कैसे समझाएं कितना दर्द है इस दिल में , 
कैसे समझाएं हम है कैसी मुश्किल में 
क्या करे क्या नहीं , कुछ कहें या चुप रहें 
क्या उनकी ख़ुशी के लिए इस गलत फैसले को भी सहे ?
वो सोच रहे होंगे की उन्हें ये भी छुपाना था 
पर वो ये भी जानते है की उनकी फितरत में ही बताना था। 

हम जानते है हम नहीं हो सकते एक दूसरे से जुदा कभी।  
बस शायद हालात ही है हमसे कुछ खफा अभी। 


-दिव्या 





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Divya

Comments

  1. बहुत सुंदर और मन को छू लेने वाली अभिव्यक्ति

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