Chhichhore - An eyeopener



नहीं , ये मूवी बिलकुल भी छिछोरपंती वाली नहीं  है।  ऐसा कुछ नहीं है की ये सिर्फ यंग लोगों  के लिए है।  ये हर उम्र हर ग्रुप के देखने लायक मूवी है।  मैं चाहूंगी की हर इंसान इसे देखे और क्लियर मैसेज ले।
हम ये तो सोच लेते है की सक्सेस जब मिलेगी तो ये करेंगे , वो करेंगे , सेलिब्रेट करेंगे, पर  तरफ कभी ध्यान ही नहीं देते की यदि सक्सेस न मिली तो क्या करेंगे ?
और सक्सेस क्या है ? कौन सेट करता है इसके पैमाने?

" बेटे आप फर्स्ट आ जाओगे तो आपको नया लैपटॉप मिलेगा. "
" अरे , तुम्हे ९०% क्यों मिले।  तुम्हारे फ्रेंड को देखो।  फुल मार्क्स आये है।  "

ये सारी  बातें हमे लगता है हमारे बच्चो को प्रेरित करेंगी , आगे बढ़ाएंगी।  बिलकुल सही , ये उन्हें प्रेरित करती है पर किस तरह , ये उन्हें आगे भी बढाती है ,पर किस दिशा में ?

अभी कुछ दिनों पहले मैंने एक न्यूज़ देखी , एक ११ साल की बच्ची को डिप्रेशन है।  ११ साल, क्या आप समझ पा रहे है ? जब आप ११ साल के थे तो क्या कर रहे थे आपको याद भी है ? क्लास ५ या ६ में सिर्फ खेलने के बहाने ढूंढा करते होंगे हम।  और आज एक ११ साल की बच्ची डिप्रेशन में है ?


आये दिन हम सुनते है की किसी स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया , क्यूंकि वो  एंट्रेंस में फेल  हो गया , या कॉलेज का प्रेशर नहीं ले पाया , या अपने पसंदीदा कॉलेज या स्ट्रीम में उसका एडमिशन नहीं हुआ। पर क्यों हो रहा है यह सब ?

क्यूंकि हम अपने बच्चो को ये बताना भूल जा रहे है की अगर फेल  हो गए तो क्या करना है।  हम उन्हें ये बताना भूल जा रहे है की फेल हो जाना ज़िन्दगी का अंत नहीं है।

इस मूवी में बहुत ही सटीक तरीके से दर्शाया गया है की किस तरह आज की पीढ़ी पे ये प्रेशर बढ़ रहा है और किस तरह हम अनजाने में  बच्चो को मौत की ओर ढ़केल रहे है। हम सब  चाहते है की हमारे बच्चे कुछ  करे , नाम कमाए, अच्छी ज़िन्दगी जिए।  पर इन् सब में सबसे ज्यादा ज़रूरी है की वो जिए। उन्हें हर वक़्त फर्स्ट आने की रेस में दौड़ाये जा रहे है।  पढ़ो तो फर्स्ट आओ , डांस करो तो फर्स्ट आओ, गेम खेलो तो फर्स्ट आओ , इनकी हालत इतनी ख़राब हो गयी है की अगर ये कहीं हार जाये तो इन्हे सबकुछ बेमाने लगने लगता है।  इन्हे लगता है सब ख़तम , की लोग उन्हें LOSERS बुलाएँगे।  मेरा उनसे सिर्फ इतना कहना है की हारता कोई नहीं है या तो जीतते है या सीखते है।

कुछ छोटे छोटे लम्हो को बड़े ही प्यार से दिखाया है जहाँ एक छोटी सी बात हमे बहुत बड़ी सीख  दे जाती है।  कुछ कॉलेज की मस्ती है कुछ ज़िन्दगी की सच्चाई।  कुछ दोस्ती कुछ प्यार कुछ परिवार के बारे में छोटी छोटी कहानियां।  ये कहानी हर इंसान को एक बार देखनी ज़रूर चाहिए , और सीखें की ज़िन्दगी में क्या ज्यादा ज़रूरी है।

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Divya

Also Read : Repeating a year is not Failure 

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